खाटू वाले श्री श्यामधणी की ज्योत की महिमा बहुत ही निराली है... सभी श्री श्याम भक्त अपने अपने इष्ट मित्रों के संग प्रत्येक मास की च्यानणी ग्यारस को खाटूवाले श्री श्यामधणी की ज्योत जगाकर बारस को धोक लगाते है... आज हमने भी माता मोरवी के लाल बाबा श्याम का खूब सुन्दर दरबार सजाया है, और उनकी ज्योत जगाई है...
थारी ज्योति कष्ट मिटावे, या ही सुखा की देवा !
ज्योत जगा ल्यो घर-घर म थे, ज्योत ह मीठा मेवा !!
ज्योत जगा ल्यो घर-घर म थे, ज्योत ह मीठा मेवा !!
हर ग्यारस न आये के, निरख श्याम की ज्योत !
और टाबर संग म्हे ज्योत ल्या, प्यारी लागे भोत !!
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
ओ बाबा को दरबार सज्यो, कितनो सुखदाई ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
ओ बड़े भाग्य सूं श्यामधणी की ग्यारस आई है...
ओ बाबा को दरबार सज्यो, कितनो सुखदाई ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
ओ बड़े भाग्य सूं श्यामधणी की ग्यारस आई है...
चूक मत तुमसे होवे, घणा पड़ के मत सोवे...
जमानत की काया ने, व्यर्थ म तू मत खोवे...
ओ बड़े भाग्य सूं श्यामधणी की ग्यारस आई है...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
जमानत की काया ने, व्यर्थ म तू मत खोवे...
ओ बड़े भाग्य सूं श्यामधणी की ग्यारस आई है...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
या ज्योति राह दिखावे, या ही सब कष्ट मिटावे...
या ही ज्योति से मानव, प्रभु का दर्शन पावे...
ओ च्यानण की ग्यारस में जागे, ज्योत सवाई ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
या ही ज्योति से मानव, प्रभु का दर्शन पावे...
ओ च्यानण की ग्यारस में जागे, ज्योत सवाई ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
ये दौलत माल खजाना, नहीं कुछ साथ ह जाना...
क्यूँ माया के चक्कर म, बना ह तू दीवाना...
ओ श्याम नाम से मुक्ति जग में, सबने पाई ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
क्यूँ माया के चक्कर म, बना ह तू दीवाना...
ओ श्याम नाम से मुक्ति जग में, सबने पाई ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
मेरी प्रार्थना है कि,
श्याम ने भूल न जाज्यो, श्याम की ज्योत जगा ज्यो...
लगे न पिसा कोड़ी, घरां म सुख बरसा ल्यो...
ओ "शर्मा" शीतल ज्योत इंदु, अमृत बरसाईं ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
लगे न पिसा कोड़ी, घरां म सुख बरसा ल्यो...
ओ "शर्मा" शीतल ज्योत इंदु, अमृत बरसाईं ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
ओ बाबा को दरबार सज्यो, कितनो सुखदाई ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
ओ बाबा को दरबार सज्यो, कितनो सुखदाई ह...
ओ बाबा को दरबार सज्यो, कितनो सुखदाई ह...
आज म्हे ज्योत जगाई ह, आज म्हे ज्योत जगाई ह...
ओ बाबा को दरबार सज्यो, कितनो सुखदाई ह...
जगती रहे खाटू वाले, ये ज्योत तेरी जगती रहे...
!! जय जय श्याम धणी सरकार की !!
!! जय जय लीले रा असवार की !!
!! जय जय शीश के दानी की !!
!! जय जय मोरवी लाल की !!
!! जय जय लीले रा असवार की !!
!! जय जय शीश के दानी की !!
!! जय जय मोरवी लाल की !!
भजन के रचियता : "श्री कांशी राम जी शर्मा"
मोरवीनंदन श्री श्याम प्रभु की यह पावन ज्योत "श्याम कुंज" दरभंगा में जगाई गई है...
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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...
!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!