सेवकिया री आज साँवरा, सुनणी पड्सी जी बात जी...
म्हे थारा और थे हो म्हारा, रखदयो सरपर हाथ जी...
लाग्यो है दरबार श्याम को, अन्न धन खूब लुटाओ जी...
म्हे तो थारो प्रेम को भूखा, प्रेम सुधा बरसाओ जी...
दीन हीन की झोली खाली, भरदयो दीनानाथ जी...
म्हे थारा और थे हो म्हारा, रखदयो सरपर हाथ जी...
करुणा का थे श्याम समन्दर करुणा थोरी चावां जी...
देवण मं थारो कांई घट्सी, म्हे तो मौज उडावां जी...
देवण मं गर देर करो तो, चलसी जग मं बात जी...
म्हे थारा और थे हो म्हारा, रखदयो सरपर हाथ जी...
के तो दे दयो श्याम चाकरी, अपणे श्री दरबार की...
वरना म्हारे सागे चालो, जो मरजी सरकार की...
कुछ तो थाणे करणों पड्सी, सुणल्यो श्याम सुजान जी...
म्हे थारा और थे हो म्हारा, रखदयो सरपर हाथ जी...
जाणू अवगुण भरया मोकला, गिनवा मं कांई सार जी...
जैसो भी अब थारे धोरे, कर देवो उद्धार जी...
'नंदू' आवे शरम न पूछो, म्हासुं म्हारी बात जी...
म्हे थारा और थे हो म्हारा, रखदयो सरपर हाथ जी...
सेवकिया री आज साँवरा, सुनणी पड्सी जी बात जी...
म्हे थार और थे हो म्हारा, रखदयो सरपर हाथ जी...
!! खाटू नरेश की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की जय !!
भाव के रचियता : "श्री नंदू जी"
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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...
!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!