श्री श्याम दरस के प्यासे मेरे ये दोनों नयन श्री श्याम प्रभु से यही अरदास लगाते है, कि...
सावन भादो उमड़ रहयो, आख्याँ म म्हारा श्याम...
देर नहीं अब और लगाओ, दयो दरसन घनश्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
काट्या गिन-गिन मुश्किल स दिन, और नहीं कट पावे...
काचो और नाजुक यो मनरो, कुण इ ने समझावे...
अब तो सांवरिया थे कसल्यो, लीले की लगाम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
सावन भादो उमड़ रहयो, आख्याँ म म्हारा श्याम...
देर नहीं अब और लगाओ, दयो दरसन घनश्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
थे आयां ही बात बनैली, जांचों सारो रासो...
एक नहीं दों तीन चार को, छ: को फेंको पासो...
हारी बाजी जीत म बदलो, जग चोपड़ थारो श्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
सावन भादो उमड़ रहयो, आख्याँ म म्हारा श्याम...
देर नहीं अब और लगाओ, दयो दरसन घनश्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
सतरंजी ह दुनिया थारी, मैं तो इ को मोहरों...
कोइ हाथी ऊंट ह घोड़ो, ह वजीर को चेहरों...
चेहरा प थे सेहरो बांधो, राज करूँ मैं श्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
सावन भादो उमड़ रहयो, आख्याँ म म्हारा श्याम...
देर नहीं अब और लगाओ, दयो दरसन घनश्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
राज पाट और माल मालिया, लागे थां बिन सूना...
लागे खारी खीर राबड़ी, जो खावाँ अलुणा...
खटरस, मीठरस बन जाओ, 'टीकम' का साथी श्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
सावन भादो उमड़ रहयो, आख्याँ म म्हारा श्याम...
देर नहीं अब और लगाओ, दयो दरसन घनश्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
देर नहीं अब और लगाओ, दयो दरसन घनश्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
काट्या गिन-गिन मुश्किल स दिन, और नहीं कट पावे...
काचो और नाजुक यो मनरो, कुण इ ने समझावे...
अब तो सांवरिया थे कसल्यो, लीले की लगाम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
सावन भादो उमड़ रहयो, आख्याँ म म्हारा श्याम...
देर नहीं अब और लगाओ, दयो दरसन घनश्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
थे आयां ही बात बनैली, जांचों सारो रासो...
एक नहीं दों तीन चार को, छ: को फेंको पासो...
हारी बाजी जीत म बदलो, जग चोपड़ थारो श्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
सावन भादो उमड़ रहयो, आख्याँ म म्हारा श्याम...
देर नहीं अब और लगाओ, दयो दरसन घनश्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
सतरंजी ह दुनिया थारी, मैं तो इ को मोहरों...
कोइ हाथी ऊंट ह घोड़ो, ह वजीर को चेहरों...
चेहरा प थे सेहरो बांधो, राज करूँ मैं श्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
सावन भादो उमड़ रहयो, आख्याँ म म्हारा श्याम...
देर नहीं अब और लगाओ, दयो दरसन घनश्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
राज पाट और माल मालिया, लागे थां बिन सूना...
लागे खारी खीर राबड़ी, जो खावाँ अलुणा...
खटरस, मीठरस बन जाओ, 'टीकम' का साथी श्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
सावन भादो उमड़ रहयो, आख्याँ म म्हारा श्याम...
देर नहीं अब और लगाओ, दयो दरसन घनश्याम...
सावन भादो उमड़ रहयो...
!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! जय जय शीश के दानी, जय जय खाटू धाम !!
!! जय जय लखदातार, जय जय लीले के असवार !!
!! जय जय खाटू के महाराज, पूर्ण करज्यो सब काज !!
श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की यह अनुपम छवि हैदराबाद के श्री श्याम मंदिर की है, जहाँ बाबा श्याम दिव्य एवं आलौकिक रूप में विराजित हो अपने भक्तों पर करुण कृपा करते है...
भजन : "श्री महाबीर सराफ जी"
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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...
!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!