कल द्वादशी की रात्रि के प्रथम प्रहर में मेरे अंतर्मन में अकास्मात ही यह प्रेरणा हुई, कि प्रातः होते ही, मैं भटली( उड़ीसा) स्थित श्री बाबा श्याम के श्री मंदिर( जो कि ५१ साल पुराना है) में एक अभीष्ट कार्य हेतु जाऊं, रात्रि इस इंतज़ार में बीती, की कब प्रातः होगी, अंततः मैंने अपने घर से ४:३५ बजे प्रातः श्री भटली धाम के लिए प्रस्थान किया और ८:०० बजे प्रातः मैं मेरे इष्टदेव कुलदेव मोरवीनंदन बाबा श्यामबिहारी (जो कि, यहाँ साक्षात् बाल रूप में विराजित है) के ठीक सामने करवद्ध खड़ा था... बाबा श्याम के उस बाल स्वरुप के दर्शन कर मुझे परम आत्मिक शांति की अनुभूति हुई... मैंने अपने हृदय के सारे मंतव्य एवं उस अभीष्ट कार्य को सच्चे हृदय से श्री श्यामबिहारी के श्री चरणों में समर्पित कर यही माँगा, कि अब तू ही मुझे मेरे द्वारा किये जाने वाले हर कर्म की प्रेरणा देना, और यह निश्चय करके कहा कि, मेरे द्वारा किया गया हर कर्म तुम्हे ही समर्पित होगा...
मुझे वहाँ के महंत जी, जिनकी उम्र लगभग ७५ साल की है, एवं जो श्री श्यामबिहारी की सेवा पिछले १९ सालो से करते आ रहे है, उनके श्री दर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ और श्याम प्रेम की अविरल धारा में बहते हुआ उनका श्री सानिध्य दिल को छु सा गया... उनके आशीर्वाद स्वरुप उठे हुए हाथो से जब उन्होंने मेरे सिर पर फेरा तो उस आलौकिक आनंद की अनुभूति शब्दों में बयान नहीं की जा सकती...
तत्पश्चात, कुछ समय बाद प्रसन्नचित मन से, मैं बाबा श्याम जी की उस बालरूप की उस अनुपम मूरत के समक्ष बैठ, मन ही मन में पहले भजनों में सुने हुए कुछ पदों के भाव बिंदु जो मुझे याद थे, श्री श्यामबिहारी जी के श्री चरणों में अर्पित किया... आइये, आप लोग भी इन भाव बिंदुओ का रसास्वादन कीजिये...
मुझे वहाँ के महंत जी, जिनकी उम्र लगभग ७५ साल की है, एवं जो श्री श्यामबिहारी की सेवा पिछले १९ सालो से करते आ रहे है, उनके श्री दर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ और श्याम प्रेम की अविरल धारा में बहते हुआ उनका श्री सानिध्य दिल को छु सा गया... उनके आशीर्वाद स्वरुप उठे हुए हाथो से जब उन्होंने मेरे सिर पर फेरा तो उस आलौकिक आनंद की अनुभूति शब्दों में बयान नहीं की जा सकती...
तत्पश्चात, कुछ समय बाद प्रसन्नचित मन से, मैं बाबा श्याम जी की उस बालरूप की उस अनुपम मूरत के समक्ष बैठ, मन ही मन में पहले भजनों में सुने हुए कुछ पदों के भाव बिंदु जो मुझे याद थे, श्री श्यामबिहारी जी के श्री चरणों में अर्पित किया... आइये, आप लोग भी इन भाव बिंदुओ का रसास्वादन कीजिये...
खाटू नाथ प्रभु श्याम जी, भवतारक तेरो नाम...
एक निष्ट हो जो भजे, उनके संवरते काम...
लखदातारी सृष्ठी पे, कोई न तुम सा और...
दानवीरो के प्रभु तुम्ही, मुकुट मणि सिरमौर...
इष्ट देव कुलदेवता, रखियो हमारी लाज...
अंजली बांधे विनय करे, सिद्ध कर दीजो काज...
श्यामल साह धर्मात्मा, दुःख नाशक सुख धाम...
रोम रोम में रमे रहो, विनती आठो याम...
हे! खाटू के शंहशाह, ऐसा करो प्रयास...
पलक झपकते हो जाये, दुष्कर्मो का नाश...
दुखी के पालक एक तुम्ही, श्याम रंग सरकार...
केवट बन करके हमें, भवसिंधु कर पार...
बली घटोत्कच के तुम्ही, बालक हो बलवान...
मनोदशा हर जीव की, जानत हो भगवान...
पाण्डव कुल के हे सूरज, दिव्य तुम्हारा तेज़..
पुष्प सुगन्धित कर देते, हर काँटों की सेज...
!! जय जय श्री श्याम... जय जय श्री श्याम... !!
!! जय जय श्री श्याम... जय जय श्री श्याम... !!
सरस सांवली सूरत वाले, दिव्य आलौकिक मूरत वाले...
दीन सखा आनदंस्वरूपा, छटा तुम्हारी अतिअनूपा...
नव दुर्गा के अचल पुजारी, संकट मोचन हे बलकारी...
देना हमें मनोरथ सिद्धि, यश गौरव की करना वृद्धि...
धर्म यज्ञ में हे दिव्य ज्योति, प्राणों की तुमने दी आहुति...
शीश श्याम को कीन्हा अर्पण, ऐसा करेगा कौन समर्पण...
कामकंटकटा के आँखों के तारे, पाण्डव वंश के राज दुलारे...
महाभारत युद्ध देखने वाले, सत्य का निर्णय करने वाले...
मनोदशा तुम जानते सबकी, रग रग हो पहचानते सबकी...
भक्ति भाव की चुम्बक न्यारी, तुम्हे खींचती श्यामबिहारी...
भावना को तुम हो परखते, कर्मानुसार हो फैसला करते...
सबके किये का लेखा जोखा, द्वार तुम्हारे होते देखा...
खाटूपति हे देव सत्यवादी, मन से रोते जब फरियादी...
तेरा दिल भी तड़पता बाबा, उनके आँसू पोंछता बाबा...
कोई पाखंडी या अभिमानी, करता कोई भी जब मनमानी...
उसको तुम सबक हो सिखाते, सच की राह पर वापिस लाते...
तीन अनोखे तीरों वाले, तीन लोक से तुम निराले...
तीन काल की जानन वारे, त्रिमूर्ति के तुम हो प्यारे...
हे खाटू के रहने वाले, भार जगत का सहने वाले...
महिमा अपरम्पार तुम्हारी, पूजा करे संसार तुम्हारी...
!! लीले घोड़े का वाहन, सजे तुम्हे सरकार !!
!! सबकी विपदा हरते हो, करुणा के अवतार !!
जो जिस भाव से द्वारे आया, उसने वैसा ही फल पाया...
तेरी अदालत में जग दाता, झूठ का जादू चल नहीं पाता...
भक्तो के तुम रहते वश में, हमें बहा दो भक्ति रस में...
मन से किसने भजा है तुमको, बिन बतलाये पता है तुमको...
हे कर्मयोगी हे ब्रम्हचारी, महा सुखदायी अर्चना तुम्हारी...
भ्रम के जाल को तोड़ने वाली, शंका निवारण करने वाली...
भयमोचन हे महान त्यागी, मुरलीधर के प्रिय अनुरागी...
थामे रखियो हाथ हमारा, हर पग देना साथ हमारा...
अंतर्भाव से निर्मल होकर, चरण तुम्हारे बाबा धोकर...
चरणामृत जो पीता न्यारा, तर जाता कुल उसका सारा...
!! पाप हरत जग तारक हो, दुःख नाशक सुख कार !!
!! तेरे चरणों पर हे स्वामी, नमन है बारम्बार !!
कार्तिक शुक्ला के हे अवतारी, तुमसे कापे सब अहंकारी...
रक्षक हो तुम दीन जनों के, शुद्धता भरते तुम्ही मनो में...
हिंसक और दुराचारी बंदे, तन के उजले मन के गंदे...
तुमसे डर के भागते बाबा, दुष्कर्मो को त्यागते बाबा...
सूरज की जब खिले दुपहरी, चमके तुम्हारी कलश सुनहरी...
दृश्य जिनके ये नयनन बसता, उनको भय का नाग न दसता...
खाटू नगर की सब गलियों में, महकते फूलो और कलियों में...
तेरा परम निवास है बाबा, भक्तों को विश्वास है बाबा...
दुर्गति नाशक देव निराले, शरणागत के तुम रखवाले...
तुम ही हो सदभाव जगाते, भेद भाव और बैर मिटाते...
तेरे अनुग्रह का उजियारा, नष्ट करता है अंधियारा...
कौन करे तेरे गुणों की गिनती, तेरे सहारे, दुनिया चलती...
डगर दिखा परमार्थवाली, धो दी मेल स्वार्थवाली...
श्याम स्वरूपा खाटूवासी, तोड़ो भय-जंजाल की फांसी...
चरण सरोज को छुने देना, शरणागति में हमको लेना...
सदा रहेंगे तेरे आभारी, हे मन मोहन श्यामबिहारी...
श्याम ने जब उपकार किया था, श्री गीता का ज्ञान दिया था..
पर्वत से सब देखा तुमने, सत्य असत्य को परखा तुमने...
पाण्डव का बल तुमने देखा, शकुनी का छल तुमने देखा...
चक्र सुदर्शन की गति देखी, काली रूप में द्रौपदी देखी...
!! दुर्लभ सुलभ बना देती, शक्ति तेरी अपार !!
!! दीन वत्सल हे दाता, सबके कष्ट निवार !!
तत्त्वज्ञानी श्याम साँवले, भटके हुओ को बढ़ के थाम ले...
सर्वश्रेष्ट हे पथ प्रदर्शक, सत्य कर्म के तुम ही शिक्षक...
पुण्य का पावन तुम वर देते, पल में पाप भष्म कर देते...
हठ को हित से दे दो मात, झूठ पर सच की छा जाए बात...
हर सच्चे धर्मात्मा जन की, बोली मधुमय धीमी होती...
थोथा चना ही घणा है बजता, वो मिथ्या अभिमान करता...
जिन वृक्षों को फल है लगते, वो उदारता से है झुकते...
छायाहीन और फल है दूर, अकड़े खड़े ही रहे खजूर...
जो है खोटी बुद्धि वाले, गर्व के हाथी वो मतवाले...
उनकी प्रभु धुनाई करना, उनमे प्रेम का अमृत भरना...
धरम की शुद्ध कमाई करना, बुरे के साथ भलाई करना...
भक्तो को सीखलादे बाबा, जड़ से बदी मिटा दे बाबा...
अपनी भूल को सदा सुधारे, किसी को हम न ठोकर मारे...
कोमल करो स्वाभाव हमारा, अच्छा करो प्रभाव हमारा...
शुभ कर्मों की सुधा पिला दे, मुर्खता की आग बुझा दे...
काम क्रोध से हो छुटकारा, मत न कर दे पतन हमारा...
बुद्धि, विवेक, साहस देना, दुखी जीवन को ढाढस देना...
सच्चे परमानन्द के सागर, एक सा कर दे भीतर बाहर...
करनी कथनी का जो अंतर, कर दे दूर कोई मार के मंतर...
बर्बरीक प्रभु इष्ट हमारे, कर दे हमें ध्रुव जैसे तारे...
!! दान वीर हे श्याम प्रभु, नेकी का दो दान !!
!! तेरे साधक करे सदा, जन जन का कल्याण !!
सच संग्राम में जो डट जाते, तेरी सहायता वो है पाते...
उनको बल तुम अपना देते, उनकी चिंता हर हो लेते...
तुम संघर्ष में साथ हो जिनके, पैर अटकते कभी न उनके...
वो हर पथ पर आगे बढ़ते, उन्नत्ति के वो शिखर पर चढ़ते...
खाटू को पावन करने वाले, ख़ुशी से हर घर भरने वाले...
तेरी खुमारी में जो झूमे, सफलता उनके पग को चूमे...
दुर्बल को बलवान बनाते, अड़चन को वरदान बनाते...
कठिनाइयों से डरे कभी ना, छुप छुप आहें भरे कभी ना..
वाणी में सम रसता देना, शुद्धि और स्वछता देना...
कभी ना सोचे बुरा किसी का, भला ही मांगे हर किसी का..
करोगे दूर तुम सब की भ्रांति, तुम्ही तो दोगे मन को शांति...
शरण तुम्हारी हम है आये, कोई हमें ना अब भटकाये...
पक्ष धरम का लेने वाले, तुम्ही हो जग के देव निराले...
देखा सुना ना कोई तुम सा, मन ना किसी का तेरे मन सा...
वासनाओं से मुक्ति देना, भीरु मन को शक्ति देना...
इर्ष्या द्वेष ना करे किसी से, नाहि डराये न डरे किसी से...
दया की मधुकर सुधा पिलाकर, कलह क्लेश और बैर मिटाकर...
हमें कौटंबिक शांति देना, भ्रम और भ्रांति को हर लेना...
!! पूंजी दो सदभाव की, खाटू के प्रभु श्याम !!
!! सच्ची निष्ठा से पूजे अद्भुत तेरा धाम !!
तेरी दया के पंख लगाकर, हम उड़ते तेरा ध्यान लगाकर...
दूर हमें अभिमान से रखना, किसी कसौटी पर ना परखना...
जग में हम भटकते ऐसे, पेड़ से टूटे पत्तो जैसे...
अपने निकट बिठाओ बाबा, तार से तार मिलाओ बाबा...
श्याम तुम्हारे नाम की ज्योति, जिस घर में प्रकाशित होती...
पाप पनपता वहाँ कभी ना, कपट ठहरता वहाँ कभी ना...
श्याम सलोनी छवि तुम्हारी, हरेगी तृष्णा पल में हमारी...
होगी तृप्त जिज्ञाषा मन की, भयेगी पूरण आशा मन की...
तेरी चौखट से हम लिपटे, और भी तेरी ओर सिमटे...
मैं ओर तू का भेद मिटा दे, तन मन तेरी भेंट चढ़ा दे...
शोक विनाशक श्यामबिहारी, बड़े ही कायर हम देहधारी...
पद पंकज की सुधा पिलाओ, हमें भी शक्तिमान बनाओ...
खाटूपति हे ज्ञान दिवाकर, सच का दीपक करो उजागर...
जो अँधियारा दूर भगा दे, ज्योतिर्मय संसार बना दे...
!! प्रभु खाटू के पवन में महके तुम्हारा नाम !!
!! सबको मुरादे मिल रही, बिना मोल बिन दाम !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! मोरवीनंदन श्री श्यामधणी की जय !!
श्री श्यामबिहारी की आज की ही यह छवि उड़ीसा प्रांत स्थित भटली धाम की है...
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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...
!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!