इस संसार में मनुष्य को यदि अपने शरीर एवं आत्मा को रंगना हो तो उसे अपने इष्ट देव एवं प्रिय प्रभु के प्रेम के रंग में रंगना चाहिए एवं अपने मनदर्पण रूपी थाल में प्रेम एवं श्रद्धा रूपी फूलो को एवं भोली भाली भावना से पूरित हृदयपुंज को सजाकर प्रभु के श्री चरणों में अर्पित करना चाहिये..... अपने आप को प्रभु के प्रेम रंग में पूरी तरह से रंगने एवं पूर्ण समर्पण से ही यह मनुष्य जीवन सफल होता है... आइये हम सब भी अपने इष्टदेव, कुलदेव श्री श्याम प्रभु, साँवरिया सरकार, तीन बाण धारी, लखदातारी श्यामधणी खाटूवाले के प्रेम रंग में स्वयं को रंगते हुई इस मधुर भाव को उनके श्री चरणों में अर्पण करते है...
म्हे तो साँवरिया रो रंग चढ़ावा एय माय...
म्हे तो साँवरिया रो रंग चढ़ावा एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
मन दर्पण को थाल सजाकर, आया म्हे थां के द्वार...
ओ बाबा, आया म्हे थां के द्वार...
प्रेम बगीचा की कलियाँ सुं करयो थारो श्रृंगार...
ओ श्याम जी करयो थारो श्रृंगार...
ओ बाबा, आया म्हे थां के द्वार...
प्रेम बगीचा की कलियाँ सुं करयो थारो श्रृंगार...
ओ श्याम जी करयो थारो श्रृंगार...
ओ भोली भावना रो भोग लगावां एय माय...
ओ भोली भावना रो भोग लगावां एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ भोली भावना रो भोग लगावां एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
म्हे तो साँवरिया रो रंग चढ़ावा एय माय...
म्हे तो साँवरिया रो रंग चढ़ावा एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
म्हे तो साँवरिया रो रंग चढ़ावा एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
रंगीलो दरबार श्याम को, श्याम छटा लहरावे...
ओ बाबा, श्याम छटा लहरावे...
जादुगारी आंखरल्या सु, अमृत रस बरसावे...
ओ श्याम जी, अमृत रस बरसावे...
ओ बाबा, श्याम छटा लहरावे...
जादुगारी आंखरल्या सु, अमृत रस बरसावे...
ओ श्याम जी, अमृत रस बरसावे...
ओ म्हे तो वारि वारि बलिहारी, जावां एय माय...
ओ म्हे तो वारि वारि बलिहारी, जावां एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ म्हे तो वारि वारि बलिहारी, जावां एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
मोहिनी मूरत बसी हृदय में, पल पल वारि जाऊं...
श्याम जी, पल पल वारि जाऊं...
मगन हुयो मद मस्त 'गोपालो', थां का भजन सुनाऊ...
ओ प्रभु जी, थां का भजन सुनाऊ...
श्याम जी, पल पल वारि जाऊं...
मगन हुयो मद मस्त 'गोपालो', थां का भजन सुनाऊ...
ओ प्रभु जी, थां का भजन सुनाऊ...
ओ बाबा थां की दया न पावां, एय माय...
ओ बाबा थां की दया न पावां, एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ बाबा थां की दया न पावां, एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
म्हे तो साँवरिया रो रंग चढ़ावा एय माय...
म्हे तो साँवरिया रो रंग चढ़ावा एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
म्हे तो साँवरिया रो रंग चढ़ावा एय माय...
खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
ओ गावां, खाटू वाला श्याम का गुण गावां...
!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!
भजन : "श्री श्रीगोपाल जी"
यह सुन्दर भाव राजस्थान के सुप्रसिद्ध लोक गीत 'घुमर' के तर्ज़ पर आधारित है...
यह सुन्दर भाव राजस्थान के सुप्रसिद्ध लोक गीत 'घुमर' के तर्ज़ पर आधारित है...
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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...
!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!