/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\!! श्री गणेशाय नमः !!/\/\/\/\/\!! ૐ श्री श्याम देवाय नमः !!\/\/\/\/\!! श्री हनुमते नमः !!/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\

Friday 18 February 2011

!! माता मोरवी को लाल, लील घोड़े पे असवार... !!



कितना धन्य है वह पावन "ढूंढा रो देश",  जहाँ की खाटू नगरी में प्यारे श्याम सरकार साक्षात् देव स्वरुप में विराजित है... आइये ऐसे सुन्दर, सलोनी सूरत वाले श्री श्यामधणी, लखदातार, तीन बाणधारी, लीले घोड़े के असवार को इन नयनो से निहारते हुए, ये भावपूरित श्रद्धा सुमन उनके श्री चरणों में अर्पित करते है...  




धन्य धन्य ह ढूंढा रो देश, जांकी महिमा अपरम्पार...
बन्यो ऐसो सुन्दर धाम, जिसने जाने सब संसार...
खाटू नगरी म विराजे, ओ खाटू नगरी म विराजे...
म्हारो श्याम सरकार...



माता मोरवी को लाल, लील घोड़े पे असवार...
इन री हो रही जय जयकार, इन रो नाम ह लखदातार...
खाटू नगरी म विराजे, ओ खाटू नगरी म विराजे...
म्हारो श्याम सरकार...



भक्तां ले करके निशान, जावे श्यामधणी के द्वार...
इनकी एक नजर हो जावे तो, भक्तां रो बेड़ो पार...
खाटू नगरी म विराजे, ओ खाटू नगरी म विराजे...
म्हारो श्याम सरकार...



आवे जब यो फाल्गुण मास, उमड़े मन आनंद अपार...
चालां चालां खाटू धाम, देखा मेले री बहार..
खाटू नगरी म विराजे, ओ खाटू नगरी म विराजे...
म्हारो श्याम सरकार...



म्हारा श्यामधणी रो रूप, लेज्यो नयना स निहार...
देवे श्याम धणी तो पल म उन रा, सारा कष्ट निवार...
खाटू नगरी म विराजे, ओ खाटू नगरी म विराजे...
म्हारो श्याम सरकार...



धन्य धन्य ह ढूंढा रो देश, जांकी महिमा अपरम्पार...
बन्यो ऐसो सुन्दर धाम, जिसने जाने सब संसार...
खाटू नगरी म विराजे, ओ खाटू नगरी म विराजे...
म्हारो श्याम सरकार...



!! सुन्दर सलोनी सूरत वाले बाबा श्याम की जय हो !!
!! माता मोरवी के लाल बाबा श्याम की जय हो !!
!! लीले घोड़े के असवार बाबा श्याम की जय हो !!



उपरोक्त भाव में एक शब्द "ढूंढा रो देश" आया है... कहा जाता है, यह वही दग्ध स्थल है, जहा ढूंढा जलकर भस्म हुई थी, ढूंढा दानवराज हिरण्यकश्यप की बहन होली को ही कहते है... और मान्यता के अनुसार यह वही क्षेत्र है जहाँ, उसने देवताओं से प्राप्त अग्नि में न जलने के वरदान से भक्त प्रहलाद को अग्नि में जलाकर भष्म करने की कोशिश कि, परन्तु श्री हरि के भक्त को कौन मार पाया है... अंतत:, दुष्टा ढूंढा (होली) अपने वरदान के गलत प्रयोग करने के कारण स्वयं ही अग्नि में जलकर भष्म हो गयी...



और इसी घटना के प्रतिक में आज तक हम लोग ढूंढा पूजन कर उसे दहते है... और तब से यह क्षेत्र ढूंढारी कहलाने लगा, इसी क्षेत्र में खट्वा नाम की नगरी थी... जहा बाबा श्याम का शीश पवित्र श्याम कुण्ड से प्रकट हुआ था, और अब यह खट्वा नगरी बाबा श्याम की कृपा से, खाटू श्याम जी के नाम से जानी जाती है...



श्री श्याम बाबा की स्तुति में भी "ढूंढा रो देश" का नाम आता है...


"धन्य ढूंढा रो देश है, खाटू नगर सुजान...
अनुपम छवि श्री श्याम की, दर्शन से कल्याण..."



 नई दिल्ली के परम श्याम भक्त श्री श्री विश्वनाथ जी "वशिष्ठ " जी ने इस क्षेत्र की महिमा का गुणगान करते हुए "श्री श्याम चरित्र" के अष्टम सौपान में इसप्रकार लिखा है कि...



दग्ध स्थल ही है ढूंढारी, ढूंढा जहाँ गई थी मारी...
ढूंढा को ही होली कहते, है प्रतिक में होली दहते...



भक्त प्रहलाद को मारण ताई, हिरणाकुश ने ढूंढा बुलाई...
ढूंढा आग से डरती नहीं थी, कभी आग से जलती नहीं थी...



भक्त प्रह्लाद था भक्ति करता, हिरणाकुश इसलिए था चिढता...
नहीं माना तो ढूंढा बुलाई, बिठा गोद में आग लगाईं...



जल गई वो प्रह्लाद बचा था, भक्त हरि का वो सच्चा था...
वो वरदान ही श्राप हो गया, दुष्टा को यूँ ताप मिल गया...
जब से ढूंढा गई थी मारी, क्षेत्र यह तब से हुआ ढूंढारी ...



!! तब से दग्ध स्थल हुआ, ढूंढारी प्रचार !!
!! अपभ्रंश से फिर हुआ, क्षेत्र यही ढूंढार !!



क्षेत्र ढूंढार में खटवा नगरी, सुखी संतोषी प्रजा थी सगरी...
कालांतर की खटवा नगरी, अब कहलाती खाटू नगरी...



नगर यही अब धाम हुआ है, गाँव ये खाटू श्याम हुआ है...
जग में श्याम की ज्योति चमके, श्यामदेव की महिमा महके...



देश-देश के सब जन आते, जात जडुला धोक लगाते...
हर दिन मेला सा रहता है, खाटू धाम भरा रहता है...



मनोकामना सब लाते है, पूरण श्याम सभी करते है...
श्याम निशान सदा चढ़ते है, भक्त भाव से नित लाते है...



नर नारी बालक सब आते, दर्शन श्याम धणी का पाते...
सभी श्याम को धोक लगते, मगन होय कर शीश नवाते...



श्याम सदा भक्तन हितकारी, जहाँ प्रेम वह श्याम बिहारी...
मोरवी लाल बड़ा बलकारी, कलयुग का है भव भयहारी...



!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!


श्री श्यामधणी की यह अनुपम छवि श्री श्याम महोत्सव, कानपुर की है...


!! जय श्री श्याम !!

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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...

!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!

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