श्री श्याम प्रभु के प्रेम से पूरित एक प्रेमी का हृदय इस प्रकार खाटू धाम में बैठ्या अपने आराध्य श्री श्याम बाबा से अपने मन की कामना की अभिव्यक्ति करता है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
धारा में तेरी ही, मुझको बहना है...
सारी उमर तेरे संग रहना है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
बाबा मेरी आँखों से, होना ना तू दूर...
बाबा मेरी आँखों से, होना ना तू दूर...
छाया रहे नयनों में, तेरा ही सुरूर...
मेरा श्रृंगार तू, तू ही गहना है...
धारा में तेरी ही, मुझको बहना है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
धारा में तेरी ही, मुझको बहना है...
सारी उमर तेरे संग रहना है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
भूखा जो सुलायेगा, सो जाऊँगा मैं..
भूखा जो सुलायेगा, सो जाऊँगा मैं..
जैसे भी तू राखेगा, रह जाऊँगा मैं...
सेवा में तेरी ही, डूबे रहना है...
धारा में तेरी ही, मुझको बहना है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
धारा में तेरी ही, मुझको हना है...
सारी उमर तेरे संग रहना है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
जैसा भी हूँ तेरा, तू मेरा चित्तचोर...
जैसा भी हूँ तेरा, तू मेरा चित्तचोर...
बाबा मैंने बाँधी है, तुझसे प्रेम की डोर...
तेरी प्रतीक्षा में, खोये मेरे नयना है...
धारा में तेरी ही, मुझको बहना है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
धारा में तेरी ही, मुझको बहना है...
सारी उमर तेरे संग रहना है...
बैठ्या जो खाटू में उससे कहना है...
!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!
श्री श्याम बाबा की यह अनुपम छवि श्री श्याम महोत्सव, उदयपुर, राजस्थान की है...
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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...
!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!