/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\!! श्री गणेशाय नमः !!/\/\/\/\/\!! ૐ श्री श्याम देवाय नमः !!\/\/\/\/\!! श्री हनुमते नमः !!/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\

Thursday 23 June 2011

!! लीलो नाचै रे भक्तां क संग... !!



लीलो घोड़ों श्याम को, सुन बाबा रो गुणगान !
कीर्तन माहि प्रकट भयो ह, अद्बभुत छवि ललाम !!
लीले घोड़ो लाल लगाम, ज्या पे बैठ्यो बाबो श्याम !
साँवरिया रो यो सेवक राजी, तो राजी ह थांसे  बाबो श्याम !!




लीलो नाचै रे भक्तां क संग, यो रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...
रास रचावै, रास रचावै, रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...




आयो श्याम धणी न लेकर, कीर्तन म रास रचानै रे...
घुमर घालै, झूम-झूमकर, श्याम रिझावै रे, लीलो नाचै रे...]




लीलो नाचै रे, भक्तां क संग, यो रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...
रास रचावै, रास रचावै, रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...




ढोलक ढप नगाड़ा बाजै, भक्तां देवे ताली रे...
लीला की टापा क सागे, घुँघरू बाजै रे, लीलो नाचै रे...




लीलो नाचै रे, भक्तां क संग, यो रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...
रास रचावै, रास रचावै, रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...




'टीकम' गावै, मुरली बाजै, श्यामधणी संग नाचै रे...
नाचण लाग्या देव सभी रे, अजब नजारों रे, लीलो नाचे रे...




लीलो नाचै रे, भक्तां क संग, यो रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...
रास रचावै, रास रचावै, रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...




भक्तप्रवर श्री महाबीर जी अपनी धर्मपत्नी श्रीमति सुशीला देवी के साथ श्री श्यामबाबा की पावन ज्योत में नेवैद्य अर्पित करते हुए...


!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!


भजन : श्री महाबीर सराफ 'टीकम'


श्री श्याम बाबा की पावन ज्योत की यह छवि "श्री श्यामकुञ्ज, दरभंगा" के २७वे श्री श्याम महोत्सव की है...


श्री श्याम बाबा के प्रिय लीले घोड़े को समर्पित यह सुन्दर भजन राजस्थानी लोकगीत धमाल के तर्ज़ पर आधारित है...

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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...

!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!

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