हे! इस कलिकाल में सर्वत्र पूजित खाटूपति श्री श्यामधणी आपकी लीला इस दुनिया में अपरम्पार है, इसलिए आपके भक्त आपका गुणगान करते हुए अपने ह्रदय के भावो को इसप्रकार व्यक्त करते है...
दानी तुमसा और न देखा, न ऐसी दातारी रे...
ओ श्याम तेरी लीला है, दुनिया से न्यारी रे...
बिन मरजी के हिले न पत्ता, ऐसी है सरकारी रे...
ओ श्याम तेरी लीला है, दुनिया से न्यारी रे...
प्रीत के जल से जिसने सींचा, उसका बाग खिला है...
ओ पूर्ण समर्पण जो कर बैठा, उसको श्याम मिला है...
कलिकाल में पूज रही है, तुझको दुनिया सारी रे...
ओ श्याम तेरी लीला है, दुनिया से न्यारी रे...
क्या करना और क्या करते है, हमको होश नहीं है...
कर्म हमारे ही है उलटे, तुझको दोष नहीं है...
अपने कर्मो से ये दुनिया, दुःख संकट में हारी रे...
ओ श्याम तेरी लीला है, दुनिया से न्यारी रे...
हारे हुए को आके सहारा, तुने श्याम दिया है...
'हर्ष' भंवर में अटका बेड़ा तुने पार किया है...
बिन पानी के तेरे दम में, चलती नाव हमारी रे...
ओ श्याम तेरी लीला है, दुनिया से न्यारी रे...
दानी तुमसा और न देखा, न ऐसी दातारी रे...
ओ श्याम तेरी लीला है, दुनिया से न्यारी रे...
बिन मरजी के हिले न पत्ता, ऐसी है सरकारी रे...
ओ श्याम तेरी लीला है, दुनिया से न्यारी रे...
!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!
भजन : "श्री विनोद अग्रवाल जी"
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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...
!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!