/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\!! श्री गणेशाय नमः !!/\/\/\/\/\!! ૐ श्री श्याम देवाय नमः !!\/\/\/\/\!! श्री हनुमते नमः !!/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\

Tuesday 8 March 2011

!! पैदल आस्यां ओ साँवरिया थारी खाटू नगरी... !!




प्रत्येक वर्ष फाल्गुण मास में सभी श्याम प्रेमी अपने आराध्य,  परम दयालु  श्री श्यामप्रभु को अपने मानस पटल पर विराजित करके एवं सुमधुर एवं भावपूर्ण भजन- कीर्तन में स्वयं को श्याममय करते हुए,  अपने अपने शहरों से श्री श्यामधणी खाटूवाले का पवित्र निशान (ध्वजा) पैदल चलकर खाटू धाम के श्री मंदिर में बहुत ही श्रद्धा और समर्पण भाव से अर्पित करते है... अब फिर से फाल्गुण का यह पुनीत महीना आ चुका है... और अपने अंतर्मन में श्री श्याम दर्शन की चाह लिए, सभी श्याम प्रेमी अपने आराध्य श्री  श्याम बाबा से पूर्ण हर्षोल्लास के साथ अपने ह्रदय के ये सुन्दर भाव इस प्रकार व्यक्त करते है...





पैदल आस्यां ओ साँवरिया थारी खाटू नगरी, पैदल आस्यां जी...
खोल तेरो दरवाजो बाबा, खोल तेरो दरवाजो बाबा, भजन सुणास्यां जी...
पैदल आस्यां जी...



ओ हो पैदल आस्यां ओ साँवरिया थारी खाटू नगरी, पैदल आस्यां जी...
ओ हो पैदल आस्यां जी बाबा जी थारी खाटू नगरी, पैदल आस्यां जी...



घणां दिनां सु चाव लाग रहयो, थारा दर्शन करस्यां जी...
घणां दिनां सु चाव लाग रहयो, थारा दर्शन करस्यां जी...
श्यामधणी थे महर करो, सालुना आस्यां जी, पैदल आस्यां जी...



ओ हो पैदल आस्यां ओ साँवरिया थारी खाटू नगरी, पैदल आस्यां जी...
खोल तेरो दरवाजो बाबा, खोल तेरो दरवाजो बाबा, भजन सुणास्यां जी...
पैदल आस्यां जी...



खाटू वाले खारड़े का, संगमरमर का गेला जी...
खाटू वाले खारड़े का, संगमरमर का गेला जी...
म्हारो मनरो माने कोणी, दर्शन करस्यां जी, पैदल आस्यां जी...



ओ हो पैदल आस्यां ओ साँवरिया थारी खाटू नगरी, पैदल आस्यां जी...
खोल तेरो दरवाजो बाबा, खोल तेरो दरवाजो बाबा, भजन सुणास्यां जी...
पैदल आस्यां जी...



भक्तां री मंडली के सागे बाबा, नाचता कूदता आस्यां जी...
भक्तां   री मंडली के सागे बाबा, नाचता कूदता आस्यां जी...
टाबरिया की लाज राखज्यो, भजन सुणास्यां जी, पैदल आस्यां जी...



ओ हो पैदल आस्यां ओ साँवरिया थारी खाटू नगरी, पैदल आस्यां जी...
खोल तेरो दरवाजो बाबा, खोल तेरो दरवाजो बाबा, भजन सुणास्यां जी...
पैदल आस्यां जी...



भगतां न भी ल्यास्यां सागे, घर का न भी ल्यास्यां जी...
भगतां न भी ल्यास्यां सागे, घर का न भी ल्यास्यां जी...
कहे 'बनवारी' रंग बिरंगी, ध्वजा चढ़ास्यां जी, पैदल आस्यां जी...



ओ हो पैदल आस्यां ओ साँवरिया थारी खाटू नगरी, पैदल आस्यां जी...
खोल तेरो दरवाजो बाबा, खोल तेरो दरवाजो बाबा, भजन सुणास्यां जी...
पैदल आस्यां जी...



!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!



भजन : "श्री जयशंकर चौधरी जी"


बाबा श्यामधणी को समर्पित यह सुन्दर भाव राजस्थानी लोकगीत 'धमाल' के तर्ज़ पर आधारित है...

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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...

!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!

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