श्री श्यामधणी खाटूवाले के दरबार की बात ही निराली है... जो कोई श्री श्याम भक्त जब कभी भी सच्चे हृदय एवं पूर्ण श्रद्धा के साथ मोरवीनंदन बाबा श्यामधणी के दरबार में शीश नवाता है, श्री श्यामधणी अवश्य उनकी फ़रियाद बिन बोले ही सुन लेते है... इसलिए श्री श्याम प्रेम से पूरित एक भक्त का हृदय अपने अंतर्मन के भावों को इस प्रकार बाबा श्याम को अर्पित करते हुए कहता है कि...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
जो श्याम से मिलता है, कहो मिलता प्यार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
जो आस लगा करके, दरबार में आता है..
खाली झोली आता, भर के ले जाता है...
मांगे सो मिल जाये, ऐसा भण्डार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
जो श्याम से मिलता है, कहो मिलता प्यार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
ये सबके मन की बाते, बड़े ध्यान से सुनता है...
फ़रियाद सुने बाबा, और पूरी करता है...
जहाँ सबकी सुनाई हो, ऐसी सरकार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
जो श्याम से मिलता है, कहो मिलता प्यार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
कोई प्रेमी बाबा का, जब हमको मिल जाये...
सब रिश्तों से बढ़कर एक रिश्ता बन जाये...
यह श्यामधणी का है, ऐसा परिवार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
जो श्याम से मिलता है, कहो मिलता प्यार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
'बिन्नू' ने जो चाहा, दरबार से पाया है..
ये ही अपना सब कुछ है, संसार पराया है...
इसे छोड़ मेरा सपना, होगा साकार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
जो श्याम से मिलता है, कहो मिलता प्यार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
जो श्याम से मिलता है, कहो मिलता प्यार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
दरबार हज़ारो हैं, ऐसा दरबार कहाँ...
!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!
भाव रचियता : "श्री विनोद जी गाडोदिया" 'बिन्नू' जी"
श्री श्याम बाबा की यह अनुपम छवि खाटूधाम में विराजित उनके श्री विग्रह की है...