सच्चे ह्रदय से भगवान को चाहने वाला मनुष्य किसी भी वर्ण, आश्रम, संप्रदाय, परिस्थिति आदि में क्यों न हो, तथा कितना भी पापी, दुराचारी क्यों न हो, वह भगवदप्राप्ति का पूर्ण अधिकारी हो जाता है... और मेरा यह पूर्ण विश्वास है, कि जिसने भी सच्चे ह्रदय से इष्टदेव, कुलदेव, हारे के सहारे श्री श्यामधणी को ध्याया है उसी ने श्री श्यामधणी का साथ पग पग पर पाया है, इसलिए तो कहते है, कि...
कोई तुमको बिसराये, तू क्यूँ घबराये...
ये पग-पग साथ निभाये, खाटू वाला मेरा बाबा श्याम...
लीले वाला मेरा बाबा श्याम...
हारे का है सहारा मेरा श्याम, कश्ती का है किनारा मेरा श्याम...
दुःखड़ो में आये यही तेरे काम, दुःखड़ो में आये यही तेरे काम...
कोई तकलीफ सताये, तू क्यूँ घबराये...
ये पल में आन मिटाये, खाटू वाला मेरा बाबा श्याम...
लीले वाला मेरा बाबा श्याम...
मांगोगे जो मिलेगा उतना, सच होगा तुम्हारा सपना...
चरणों में जाके जरा तू झुकना, चरणों में जाके जरा तू झुकना...
कोई नहीं पास बिठाये, तू क्यूँ घबराये...
ये सिर पर हाथ फिराये, खाटू वाला मेरा बाबा श्याम...
लीले वाला मेरा बाबा श्याम...
'हर्ष' शरण में तू आजा ईकबार, भर देगा ये तेरा तो भण्डार...
साँवरा दयालु बड़ा ही दतार, साँवरा दयालु बड़ा ही दतार...
कोई तुमको ठुकराये, तू क्यूँ घबराये...
ये गले से लगाये, खाटू वाला मेरा बाबा श्याम...
लीले वाला मेरा बाबा श्याम...
कोई तुमको बिसराये, तू क्यूँ घबराये...
ये पग-पग साथ निभाये, खाटू वाला मेरा बाबा श्याम...
लीले वाला मेरा बाबा श्याम...
खाटू वाला मेरा बाबा श्याम...
लीले वाला मेरा बाबा श्याम...
!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!
भजन : "श्री विनोद अग्रवाल जी"