!! लखदातर की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! तीन बाण धारी की जय !!
!! म्हारा श्यामधणी की जय !!
!! मोरवीनंदन बाबा श्याम की जय !!
महाभारत के युद्ध में वीर बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण के कहने पर जन-कल्याण, परोपकार व धर्म की रक्षा के लिए आपने शीश का दान दिया... उनके इसी सहर्ष दान एवं अद्भुत वीरता पर प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कलियुग में देव रूप में पूजित होकर भक्तों की मनोकामनाओ को पूर्ण करने का वरदान दिया... आज यह सच हम अपनी आखों से देख रहे हैं की उस युग के बर्बरीक आज के युग के श्री श्याम जी ही हैं... और कलयुग के समस्त प्राणी श्री श्याम जी के दर्शन मात्र से सुखी हो जाते हैं... ऐसे पराक्रमी, परम दयालु, दानवीर, हारे के सहारे, वीर बर्बरीक जी (जिन्हें अब हम सभी बाबा श्याम के नाम से जानते है), की पावन कथा हमारे पवित्र सनातन धर्म के वेदव्यास जी द्वारा रचित "स्कन्द पुराण" में भी वर्णित है... ऋषि वेदव्यास जी ने स्कन्द पुराण में "माहेश्वर खंड के द्वितीय उपखंड कौमरिका खंड" के ६६ वें अध्याय के ११५वे एवं ११६वे श्लोक में इनकी स्तुति इस आलौकिक स्त्रोत्र से की है, जिसे पढ़ने और सुनने मात्र से ही समस्त भयो का नाश हो जाता है, और श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की करुण कृपा प्राप्त होती है...
!! स्कन्दपुराणोक्त श्री श्याम देव स्त्रोत्र !!
जय जय चतुरशितिकोटिपरिवार सुर्यवर्चाभिधान यक्षराज जय भूभारहरणप्रवृत लघुशाप प्राप्तनैऋतयोनिसम्भव जय कामकंटकटाकुक्षि राजहंस जय घटोत्कचानन्दवर्धन बर्बरीकाभिधान जय कृष्णोपदिष्ट श्रीगुप्तक्षेत्रदेवीसमाराधन प्राप्तातुलवीर्यं जय विजयसिद्धिदायक जय पिंगल रेपलेंद्र दुहद्रुहा नवकोटीश्वर पलाशिदावानल जय भुपालान्तराले नागकन्या परिहारक जय श्रीभीममानमर्दन जय सकलकौरवसेनावधमुहूर्तप्रवृत जय श्रीकृष्ण वरलब्धसर्ववरप्रदानसामर्थ्य जय जय कलिकालवन्दित नमो नमस्ते पाहि पाहिती !! स्कन्दपुराण, कौ. ख. ६६.११५ !!
!! उपरोक्त स्त्रोत्र का हिंदी भावार्थ !!
"हे! पृथ्वी के भार को हटाने में उत्साही, तथा थोड़े से शाप पाने के कारण राक्षस नाम की देवयोनि में जन्म लेने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! कामकंटकटा (मोरवी) माता की कोख के राजहंस भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! घटोत्कच पिता के आनंद बढ़ाने वाले बर्बरीक जी के नाम से सुप्रसिद्ध देव! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! श्री कृष्णजी के उपदेश से श्री गुप्तक्षेत्र में देवियों की आराधना से अतुलित बल पाने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! विजय विप्र को सिद्धि दिलाने वाले वीर! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! पिंगला- रेपलेंद्र- दुहद्रुहा तथा नौ कोटि मांसभक्षी पलासी राक्षसों के जंगलरूपी समूह को अग्नि की भांति भस्म करने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! पृथ्वी और पाताल के बीच रास्ते में नाग कन्याओं का वरण प्रस्ताव ठुकराने वाले माहात्मन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! श्री भीमसेन के मान को मर्दन करने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! कौरवों की सेना को दो घड़ी ( ४८ मिनट) में नाश कर देने वाले उत्साही महावीर! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! श्री कृष्ण भगवान के वरदान के द्वारा सब कामनाओं के पूर्ण करने का सामर्थ्य पाने वाले वीरवर! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! कलिकाल में सर्वत्र पूजित देव! आपको बारम्बार नमस्कार हैं, नमस्कार है, नमस्कार है..."
"हे! चौरासी कोटि परिवार वाले सूर्यवर्चस नाम के धनाध्यक्ष भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! पृथ्वी के भार को हटाने में उत्साही, तथा थोड़े से शाप पाने के कारण राक्षस नाम की देवयोनि में जन्म लेने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! कामकंटकटा (मोरवी) माता की कोख के राजहंस भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! घटोत्कच पिता के आनंद बढ़ाने वाले बर्बरीक जी के नाम से सुप्रसिद्ध देव! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! श्री कृष्णजी के उपदेश से श्री गुप्तक्षेत्र में देवियों की आराधना से अतुलित बल पाने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! विजय विप्र को सिद्धि दिलाने वाले वीर! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! पिंगला- रेपलेंद्र- दुहद्रुहा तथा नौ कोटि मांसभक्षी पलासी राक्षसों के जंगलरूपी समूह को अग्नि की भांति भस्म करने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! पृथ्वी और पाताल के बीच रास्ते में नाग कन्याओं का वरण प्रस्ताव ठुकराने वाले माहात्मन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! श्री भीमसेन के मान को मर्दन करने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! कौरवों की सेना को दो घड़ी ( ४८ मिनट) में नाश कर देने वाले उत्साही महावीर! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! श्री कृष्ण भगवान के वरदान के द्वारा सब कामनाओं के पूर्ण करने का सामर्थ्य पाने वाले वीरवर! आपकी जय हो, जय हो..."
"हे! कलिकाल में सर्वत्र पूजित देव! आपको बारम्बार नमस्कार हैं, नमस्कार है, नमस्कार है..."
"हमारी रक्षा कीजिये, रक्षा कीजिये, रक्षा कीजिये"
अनेन य: सुहृदयं श्रावणेsभ्य्चर्य दर्शके! वैशाखे च त्रयोदशयां कृष्णपक्षे द्विजोत्मा: शतदीपै पुरिकाभि: संस्तवेत्तस्य तुष्यति !! स्कन्दपुराण, कौ. ख. ६६.११६ !!
"जो भक्त कृष्णपक्ष की श्रवणनक्षत्र युक्त अमावस्या (जो प्रायः फाल्गुन मास में आती है) के तेरहवे
[१३वे] दिन अर्थात "फाल्गुन सुदी द्वादशी" के दिन तथा विशाखानक्षत्र युक्त अमावस्या (जो प्रायः
कार्तिक मास में आती है) के तेरहवे [१३वे] दिन अर्थात "कार्तिक सुदी द्वादशी" के दिन अनेक तपे हुए
अँगारों से सिकी हुई पुरिकाओ के चूर्ण (घृत, शक्करयुक्त चूरमा) से श्री श्याम जी की पूजा कर इस
स्त्रोत्र से स्तुति करते है, उस पर श्री श्याम जी अति प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते है... "
[१३वे] दिन अर्थात "फाल्गुन सुदी द्वादशी" के दिन तथा विशाखानक्षत्र युक्त अमावस्या (जो प्रायः
कार्तिक मास में आती है) के तेरहवे [१३वे] दिन अर्थात "कार्तिक सुदी द्वादशी" के दिन अनेक तपे हुए
अँगारों से सिकी हुई पुरिकाओ के चूर्ण (घृत, शक्करयुक्त चूरमा) से श्री श्याम जी की पूजा कर इस
स्त्रोत्र से स्तुति करते है, उस पर श्री श्याम जी अति प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते है... "
आइये अब सब मिलकर मोरवीनन्दन श्री श्यामधणी से प्रार्थना करे और प्रेमपूर्वक उनका जयकारा लगाए...
जय हो तुम्हारी, जय हो तुम्हारी, मोरवीनन्दन श्री श्याम बिहारी...
कलयुग अवतारी, भव भयहारी, जय हो तुम्हारी, जय हो तुम्हारी...
आये है दर पे, हम तो तुम्हारे...
दर्शन के प्यासे, नयन हमारे...
दे दर्शन प्यास, बढ़ा दो हमारी...
जय हो तुम्हारी, जय हो तुम्हारी...
आशा है मन में, विश्वास तुझ पर...
करोगे मेहर, श्याम आज हम पर...
आएगी बोलो, कब बारी हमारी...
जय हो तुम्हारी, जय हो तुम्हारी...
जय हो तुम्हारी, जय हो तुम्हारी, मोरवीनन्दन श्री श्याम बिहारी...
कलयुग अवतारी, भव भयहारी, जय हो तुम्हारी, जय हो तुम्हारी...
नगमे सुनाएँ, या गीत जो गायें...
झूमें नाचें, तुझको रिझाए...
तेरी रजा में, रजा है हमारी...
जय हो तुम्हारी, जय हो तुम्हारी...
देगा तू गम, या खुशिया जो मुझको...
सहेंगे, कहेंगे न कुछ भी तुमको...
'टीकम' तो दास, तेरा दरबारी...
जय हो तुम्हारी, जय हो तुम्हारी...
जय हो तुम्हारी, जय हो तुम्हारी, मोरवीनन्दन श्री श्याम बिहारी...
कलयुग अवतारी, भव भयहारी, जय हो तुम्हारी, जय हो तुम्हारी...
तर्ज़ : ( त्वमेव माता च पिता )
भाव के रचियता : "श्री महाबीर सराफ जी"
!! ॐ श्री श्याम देवाय नमः !!
!! लखदातर की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! तीन बाण धारी की जय !!
!! म्हारा श्यामधणी की जय !!
!! मोरवीनंदन बाबा श्याम की जय !!
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थे भी एक बार श्याम बाबा जी रो जयकारो प्रेम सुं लगाओ...
!! श्यामधणी सरकार की जय !!
!! शीश के दानी की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! लखदातार की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! श्री मोरवीनंदन श्यामजी की जय !!