मेरा ऐसा मानना है की, प्रेम का भाव छिपाने से भी छिपता नहीं है... प्रेम जिस हृदय में प्रकट होकर उमड़ता है उस को छिपाना उस हृदय के वश में भी नहीं होता है... और वह इसे छिपा भी नहीं पाता है... यदि वह मुख से प्रेम-प्रीत की कोई बात न बोल पाए तो उसके नेत्रों से प्रेम के पवित्र अश्रुओं की धारा निकल पड़ती है अर्थात् हृदय के प्रेम की बात नेत्रों से स्वत: ही प्रकट हो जाती है... और प्रभु मिलन को तरसता वो हृदय प्रेमाश्रुओं के साथ इस प्रकार अपने ईष्टदेव से अनुनय विनय करने लगता है...
इस मधुर भाव का रसास्वादन यहाँ करे...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
आते क्यों नहीं मेरे श्याम, क्यों आप सताते हैं...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
आते नहीं क्यों घनश्याम, क्यों आप सताते हैं...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
बैठे हैं राहों में, पलकों को बिछाये हम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
बैठे हैं राहों में, पलकों को बिछाये हम...
कब होगी महर तेरी, पलकों पे तेरी रहम...
अब और न देर करो, हम तुमको बुलाते हैं...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
प्यासा है दिल मेरा, प्यासे हैं नयन मेरे...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
प्यासा है दिल मेरा, प्यासे हैं नयन मेरे...
तूं प्यास बुझादे श्याम, दे कर दर्शन तेरे...
दर्शन को हम तरसे, हमें क्यों तरसाते हैं...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
शीशा सा दिल है मेरा, पत्थर ना समझ लेना...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
शीशा सा दिल है मेरा, पत्थर ना समझ लेना...
'टीकम' गर टूट गया, चरणों में तूं लेना...
कण- कण में तूं है श्याम, ये तो दर्शाते है...यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
आते नहीं क्यों घनश्याम, क्यों आप सताते हैं...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
आते नहीं क्यों घनश्याम, क्यों आप सताते हैं...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
भाव के रचियता : "श्री महाबीर जी"