/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\!! श्री गणेशाय नमः !!/\/\/\/\/\!! ૐ श्री श्याम देवाय नमः !!\/\/\/\/\!! श्री हनुमते नमः !!/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\/\

Thursday 30 June 2011

!! यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं... !!







अक्सर ऐसा कहा जाता है, प्रेम आत्मा का दर्पण होता है... प्रेम की ताकत के आगे परम पिता परमेश्वर भी बेबस हो जाते है अर्थात प्रेम में वह शक्ति है, कि जीव भगवद स्वरुप का साक्षात्कार कर सकता है... प्रभु से प्रेम करने वाला भक्त संसार के किसी भी चीज़ से भयभीत नहीं होता... क्योंकि वह अपना तन-मन प्रभु को समर्पित कर चुका होता है...


मेरा ऐसा मानना है की, प्रेम का भाव छिपाने से भी छिपता नहीं है... प्रेम जिस हृदय में प्रकट होकर उमड़ता है उस को छिपाना उस हृदय के वश में भी नहीं होता है... और वह इसे छिपा भी नहीं पाता है... यदि वह मुख से प्रेम-प्रीत की कोई बात न बोल पाए तो उसके नेत्रों से प्रेम के पवित्र अश्रुओं की धारा निकल पड़ती है अर्थात् हृदय के प्रेम की बात नेत्रों से स्वत: ही प्रकट हो जाती है... और प्रभु मिलन को तरसता वो हृदय प्रेमाश्रुओं के साथ इस प्रकार अपने ईष्टदेव से अनुनय विनय करने लगता है...


इस मधुर भाव का रसास्वादन यहाँ करे...





श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...




यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
आते  क्यों नहीं मेरे श्याम, क्यों आप सताते हैं...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
आते नहीं क्यों घनश्याम, क्यों आप सताते हैं...



श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...




बैठे हैं राहों में, पलकों को बिछाये हम...
कब होगी महर तेरी, पलकों पे तेरी रहम...
अब और न देर करो, हम तुमको बुलाते हैं...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...



श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...




प्यासा है दिल मेरा, प्यासे हैं नयन मेरे...
तूं प्यास बुझादे श्याम, दे कर दर्शन तेरे...
दर्शन को हम तरसे, हमें क्यों तरसाते हैं...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...



श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...




शीशा सा दिल है मेरा, पत्थर ना समझ लेना...
'टीकम' गर टूट गया, चरणों में तूं लेना...
कण- कण में तूं है श्याम, ये तो दर्शाते है...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...



श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...




यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
आते नहीं क्यों घनश्याम, क्यों आप सताते हैं...
यादों में तेरे श्याम, हम नीर बहाते हैं...
आते नहीं क्यों घनश्याम, क्यों आप सताते हैं...



श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...
श्याम मेरे श्याम, श्याम बाबा श्याम...

!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!


भाव के रचियता : "श्री महाबीर जी"

Monday 27 June 2011

!! थारो सांचो ह दरबार, बाबा श्याम धणी... !!



हे इष्टदेव, कुलदेव श्री श्यामधणी थारो यो दिव्य, अनुपम रूप श्रृंगार ने निरख निरख थारे द्वार पर उभा थारा श्री चरणा रा सेवकिया रो मनड़ो झूम झूम केवल या ही कहवे ह, कि...



छवि नहीं वर्णन हुये, ऐसो रूप श्रृंगार !
दर्शन से पातक कटे, होय जीव उद्धार !!





मकराणे को मंदरियो, जँच कर बैठ्यो सांवरियों...
मकराणे को मंदरियो, जँच कर बैठ्यो सांवरियों...
म्हारे लीले रा असवार बाबो श्यामधणी...
म्हारे लीले रा असवार बाबो श्यामधणी...




खाटू का सरदार थारी, भोत घणी सकलाई जी...
टाबरिया ने लागे थारो, रूप घणों सुखदाई जी...
स्वर्ण मुकुट सिर सोहवे ह, मोर पंख मन मोहवे ह...
थारो बागों घेर घुमेर बाबा श्याम धणी...



साँचा साँचा परचा देवो, ऊँची ठकुराई थारी जी...
ऊँचे आसण आप विराजो, बाबा श्याम बिहारी जी...
मोर छड़ी थारे हाथां म, केशर टीको माथे पे...
थारे गल मोतियन को हार, बाबा श्याम धणी...



लाखां ही भगतां की थे तो मन की आस पुराई जी...
घर घर माहि पूजे बाबा, थाणे लोग लुगाई जी...
काजल सोहवे आंख्यां म, कुण्डल सोहवे कानां म...
थारो सांचो ह दरबार बाबा श्याम धणी...



जादुगारी चितवन थारी, भगतां के मन भाई जी...
निज भगतां की सेठ सांवरा, थे ही करो सुणाई जी...
'हर्ष' थारी लीला न्यारी, देव दयालु दातरी...
थे कलयुग का अवतार बाबा श्यामधणी...



मकराणे को मंदरियो, जँच कर बैठ्यो सांवरियों...
मकराणे को मंदरियो, जँच कर बैठ्यो सांवरियों...
म्हारे लीले रा असवार बाबो श्यामधणी...
म्हारे लीले रा असवार बाबो श्यामधणी...



!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!






भजन : "श्री विनोद अग्रवाल जी" 


श्री श्यामधणी को समर्पित यह सुन्दर भाव भक्तप्रवर श्यामलीन श्री कांशीराम जी शर्मा द्वारा रचित सुप्रसिद्ध श्याम भजन "मोर छड़ी थारे हाथां म, हीरो चमके माथां म" के तर्ज़ पर आधारित है...
 

Thursday 23 June 2011

!! लीलो नाचै रे भक्तां क संग... !!



लीलो घोड़ों श्याम को, सुन बाबा रो गुणगान !
कीर्तन माहि प्रकट भयो ह, अद्बभुत छवि ललाम !!
लीले घोड़ो लाल लगाम, ज्या पे बैठ्यो बाबो श्याम !
साँवरिया रो यो सेवक राजी, तो राजी ह थांसे  बाबो श्याम !!




लीलो नाचै रे भक्तां क संग, यो रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...
रास रचावै, रास रचावै, रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...




आयो श्याम धणी न लेकर, कीर्तन म रास रचानै रे...
घुमर घालै, झूम-झूमकर, श्याम रिझावै रे, लीलो नाचै रे...]




लीलो नाचै रे, भक्तां क संग, यो रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...
रास रचावै, रास रचावै, रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...




ढोलक ढप नगाड़ा बाजै, भक्तां देवे ताली रे...
लीला की टापा क सागे, घुँघरू बाजै रे, लीलो नाचै रे...




लीलो नाचै रे, भक्तां क संग, यो रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...
रास रचावै, रास रचावै, रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...




'टीकम' गावै, मुरली बाजै, श्यामधणी संग नाचै रे...
नाचण लाग्या देव सभी रे, अजब नजारों रे, लीलो नाचे रे...




लीलो नाचै रे, भक्तां क संग, यो रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...
रास रचावै, रास रचावै, रास रचावै रे, लीलो नाचै रे...




भक्तप्रवर श्री महाबीर जी अपनी धर्मपत्नी श्रीमति सुशीला देवी के साथ श्री श्यामबाबा की पावन ज्योत में नेवैद्य अर्पित करते हुए...


!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!


भजन : श्री महाबीर सराफ 'टीकम'


श्री श्याम बाबा की पावन ज्योत की यह छवि "श्री श्यामकुञ्ज, दरभंगा" के २७वे श्री श्याम महोत्सव की है...


श्री श्याम बाबा के प्रिय लीले घोड़े को समर्पित यह सुन्दर भजन राजस्थानी लोकगीत धमाल के तर्ज़ पर आधारित है...

Tuesday 21 June 2011

!! श्री मोरवीनंदन खाटूश्याम जी चलीसा !!




श्री श्यामप्रभु खाटू वाले के श्री चरणों में समर्पित भक्त प्रवर श्री मनोज विप्लव कृत "श्री मोरवीनंदन खाटूश्याम जी चालीसा"




!! श्री मोरवीनंदन खाटूश्याम जी चलीसा !!



::::::::::::::::::::::::::::::::::::::दोहा:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::



 गुरु पदरज शीशधर, प्रथम सुमिरू गणेश !
ध्यान शारदा ह्रदयधर, भजुँ भवानी महेश !!
चरण शरण विप्लव पड़े, हनुमत हरे कलेश !
श्याम चालीसा भजत हुँ, जयति खाटू नरेश !!



:::::::::::::::::::::::::::::::::::::चोपाई::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::



वन्दहुँ श्याम प्रभु दुःख भंजन, विपत विमोचन कष्ट निकंदन...
सांवल रूप मदन छविहारी, केशर तिलक भाल दुतिकारी...



मोर मुकुट केसरिया बागा, गल वैजयंति चित अनुरागा...
नील अश्व मौरछडी प्यारी, करतल त्रय बाण दुःख हारी...



सूर्यवर्च वैष्णव अवतारे, सुर मुनि नर जन जयति पुकारे...
पिता घटोत्कच मोरवी माता, पाण्डव वंशदीप सुखदाता...



बर्बर केश स्वरूप अनूपा, बर्बरीक अतुलित बल भूपा...
कृष्ण तुम्हे सुह्रदय पुकारे, नारद मुनि मुदित हो निहारे...



मोर्वेय पूछत कर अभिवन्दन, जीवन लक्ष्य कहो यदुनन्दन...
गुप्त क्षेत्र देवी अराधना, दुष्ट दमन कर साधु साधना...



बर्बरीक बाल ब्रह्मचारी, कृष्ण वचन हर्ष शिरोधारी...
तप कर सिद्ध देवियाँ कीन्हा, प्रबल तेज अथाह बल लीन्हा...



यज्ञ करे विजय विप्र सुजाना, रक्षा बर्बरीक करे प्राना...
नव कोटि दैत्य पलाशि मारे, नागलोक वासुकि भय हारे...



सिद्ध हुआ चँडी अनुष्ठाना, बर्बरीक बलनिधि जग जाना...
वीर मोर्वेय निजबल परखन, चले महाभारत रण देखन...



माँगत वचन माँ मोर्वि अम्बा, पराजित प्रति पाद अवलम्बा...
आगे मिले माधव मुरारे, पूछे वीर क्युँ समर पधारे...



रण देखन अभिलाषा भारी, हारे का सदैव हितकारी...
तीर एक तीहुँ लोक हिलाये, बल परख श्री कृष्ण सँकुचाये...



यदुपति ने माया से जाना, पार अपार वीर को पाना...
धर्म युद्ध की देत दुहाई, माँगत शीश दान यदुराई...



मनसा होगी पूर्ण तिहारी, रण देखोगे कहे मुरारी...
शीश दान बर्बरीक दीन्हा, अमृत बर्षा सुरग मुनि कीन्हा...



देवी शीश अमृत से सींचत, केशव धरे शिखर जहँ पर्वत...
जब तक नभ मण्डल मे तारे, सुर मुनि जन पूजेंगे सारे...



दिव्य शीश मुद मंगल मूला, भक्तन हेतु सदा अनुकूला...
रण विजयी पाण्डव गर्वाये, बर्बरीक तब न्याय सुनाये...



सर काटे था चक्र सुदर्शन, रणचण्डी करती लहू भक्षन...
न्याय सुनत हर्षित जन सारे, जग में गूँजे जय जयकारे...



श्याम नाम घनश्याम दीन्हा, अजर अमर अविनाशी कीन्हा...
जन हित प्रकटे खाटू धामा, लख दाता दानी प्रभु श्यामा...



खाटू धाम मौक्ष का द्वारा, श्याम कुण्ड बहे अमृत धारा...
शुदी द्वादशी फाल्गुण मेला, खाटू धाम सजे अलबेला...



एकादशी व्रत ज्योत द्वादशी, सबल काय परलोक सुधरशी...
खीर चूरमा भोग लगत हैं, दुःख दरिद्र कलेश कटत हैं...



श्याम बहादुर सांवल ध्याये, आलु सिँह ह्रदय श्याम बसाये...
मोहन मनोज विप्लव भाँखे, श्याम धणी म्हारी पत राखे...



नित प्रति जो चालीसा गावे, सकल साध सुख वैभव पावे...
श्याम नाम सम सुख जग नाहीं, भव भय बन्ध कटत पल माहीं...



::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: दोहा ::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::



त्रिबाण दे त्रिदोष मुक्ति दर्श दे आत्म ज्ञान !
चालीसा दे प्रभु भुक्ति सुमिरण दे कल्यान !!
खाटू नगरी धन्य हैं श्याम नाम जयगान !!
अगम अगोचर श्याम हैं विरदहिं स्कन्द पुराण !!



:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::इति श्री:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::





आप सभी सुमधुर सरस भावो से परिपूर्ण इस चालीसा को निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर सुन भी सकते है...







!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!




रचियता : "श्री मनोज विप्लव जी"

Thursday 16 June 2011

!! ओ बाबा! छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना... !!




हे म्हारा इष्टदे, कुलदेव खाटूवाला श्यामधणी, थारे द्वार पर उभ्या थारा टाबरिया कर जोड़ थांसु आं अरदास करे ह कि...





टाबरिया हां थारा, भुलाये मत ना...
टाबरिया हां थारा, भुलाये मत ना...
छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...
ओ बाबा! छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...



थारे बिन श्याम, म्हाने कुण सम्हाले...
जीवन ह म्हारा श्याम, थारे हवाले...
दुःख जीवन में म्हाने, दिखाये मत ना...
छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...
ओ बाबा! छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...



दुनिया क आगे श्याम, दुःखड़ा न बोलू...
थारे आगे श्याम, म्हारा भेद सारा खोलू...
म्हारी दुनिया म, हाँसी कराये मत ना...
छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...
ओ बाबा! छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...



खाटू का श्याम बाबा, थारो ही सहारो ह...
जनमो का नातो श्याम, थांसु म्हारो ह...
श्याम निर्बल स, बैया छुड़ाये मत ना...
छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...
ओ बाबा! छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...



जब तक है जीवन श्याम, निभानो पड़सी...
जब भी पुकारू, थाणे आनो पड़सी...
श्याम आने म, देरी लगाये मत ना...
छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...
ओ बाबा! छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...



टाबरिया हां थारा, भुलाये मत ना...
टाबरिया हां थारा, भुलाये मत ना...
छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...
ओ बाबा! छोड़ थारा भक्तां ने, जाये मत ना...



!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!


Tuesday 14 June 2011

!! श्याम थारे क्यां को घाटो जी, बाबा जी थारे क्यां को घाटो जी... !!



झोलियाँ हम गरीबो की श्याम, अपनी रहमत से आज भर दे....
तुम कुहाते दया के समंदर, हमपे नजरे इनायत तो कर दे...


श्याम थारे क्यां को घाटो जी, बाबा जी थारे क्यां को घाटो जी...
थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे, ओ थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे...
तो क्यूँ न काटो जी, श्याम थारे क्यां को घाटो जी...



म्हे तो हां अनजान सांवरा, थे सब लायक जी, सांवरा थे सब लायक जी...
अपने दर को आज बनाल्यो, ओ अपने दर को आज बनाल्यो...
म्हाने पायक जी, दया कर इब मत नाटो जी...
 श्याम थारे क्यां को घाटो जी...


थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे, ओ थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे...
तो क्यूँ न काटो जी, श्याम थारे क्यां को घाटो जी...



ना मीरा सी भक्ति म्हां में, ना तुलसी सो ज्ञान, सांवरा ना तुलसी सो ज्ञान...
थारो नाम ले काम चलावां, ओ थारो नाम ले काम चलावां...
बिल्कुल हां अज्ञान, दया कर अवगुण छाँटो जी...
श्याम थारे क्यां को घाटो जी...



थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे, ओ थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे...
तो क्यूँ न काटो जी, श्याम थारे क्यां को घाटो जी...



छोटे टाबरिया को मायत कदे न छोड़े साथ, सांवरा कदे न छोड़े साथ...
अपणों जान कर आज निभाल्यो, ओ अपणों जान कर आज निभाल्यो...
टाबरिया री बात, करो मत दिल म्हारो खाटो जी...
श्याम थारे क्यां को घाटो जी...



थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे, ओ थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे...
तो क्यूँ न काटो जी, श्याम थारे क्यां को घाटो जी...



'मात्रदत्त' थारो प्यार मिले तो, हो जाये बेडो पार, सांवरा हो जाये बेडो पार...
श्याम सुन्दर सरकार सांवरा, ओ श्याम सुन्दर सरकार सांवरा...
करदयो यो उपकार, भरम की खाई काटो जी...
श्याम थारे क्यां को घाटो जी...



थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे, ओ थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे...
तो क्यूँ न काटो जी, श्याम थारे क्यां को घाटो जी...



श्याम थारे क्यां को घाटो जी, बाबा जी थारे क्यां को घाटो जी...
थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे, ओ थारे दर्शन स म्हारा पाप कटे...
तो क्यूँ न काटो जी, श्याम थारे क्यां को घाटो जी...



!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!





भजन : "श्री मात्रदत्त जी"

 यह अनुपम भावपूर्ण भजन "श्याम थारी ओल्युं आवे जी" के तर्ज़ पर आधारित है...

Monday 13 June 2011

!! देखूँ थाणे किन देशां म जाय, जी म्हारा श्याम... !!









देखूँ थाणे किन देशां म जाय, थाणे किन देशां म जाय...
थे व्यापक सब म होय रहया, जी म्हारा श्याम...
थे परिपूरण सब म होय रहया, जी म्हारा श्याम...



अग्नि, पवन, जल, धरणी, और आकाश, कोई धरणी और आकाश...
थे दसहू दिशा म छाय रहया, जी म्हारा श्याम...
थे दसहू दिशा म छाय रहया, जी म्हारा श्याम...



नर-नारी, पशु-पक्षी, कीट-पतंग, पशु-पक्षी कीट-पतंग...
सब भेष म थे धारिया, जी म्हारा श्याम...
सब भेष म थे धारिया, जी म्हारा श्याम...



पर्वत, जंगल, वृक्षण रा सब पात, कोई वृक्षण रा सब पात...
जामे दरसे छवि आप री, जी म्हारा श्याम...
जामे दरसे छवि आप री, जी म्हारा श्याम...



कल-कल बहवे गंगा जी री धार, कोई यमुना जी री धार...
थारा ही शबद सुहावना, जी म्हारा श्याम...
थारा ही शबद सुहावना, जी म्हारा श्याम...



मिट गयी अब तो भोग मोक्ष री चाह, कोई भोग मोक्ष री चाह...
घट घट म निरखूँ आपणे, जी म्हारा श्याम...
घट घट म निरखूँ आपणे, जी म्हारा श्याम...



देखूँ थाणे किन देशां म जाय, थाणे किन देशां म जाय...
थे व्यापक सब म होय रहया, जी म्हारा श्याम...
थे व्यापक सब म होय रहया, जी म्हारा श्याम...
थे परिपूरण सब म होय रहया, जी म्हारा श्याम...



!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!

!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!


Sunday 12 June 2011

!! मन म हरियाली छाई, भगतां अरदास लगाई... !!


आज श्री श्यामधणी जी री ज्येष्ठ मास की पावन च्यानणी ग्यारस की बेला है... हर्षित मन सुं, सब भगतां मिल बाबा जी री ज्योत जगाई ह... और सारा भगतां, आंगणिये म झांझ-मजीरा, ताल मृदंग की मधुर तान क साथ श्री श्यामधणी स, हुलस हुलस क यु अरदास लगावे ह...



 ग्यारस  च्यानण की आई, भगतां मिल ज्योत जगाई...
झांझ-मजीरा बाजै आंगणे, ओ बाबा! झांझ-मजीरा बाजै आंगणे...
मन म हरियाली छाई, भगतां अरदास लगाई...
झांझ-मजीरा बाजै आंगणे, ओ बाबा! झांझ-मजीरा बाजै आंगणे...



ग्यारस  च्यानण की आई, भगतां मिल ज्योत जगाई...
झांझ-मजीरा बाजै आंगणे, ओ बाबा! झांझ-मजीरा बाजै आंगणे...



चमचम चमकातो बागो, कानां म कुण्डल ओ, कानां म कुण्डल ओ...
हिवड़ो हुलसायो म्हारो, भला पधारयां ओ, भला पधारयां ओ...
हीरो भलकै माथे म, अंतर गमकै बागे म..
फूलडा  बरसे छे म्हारै आंगणे, ओ बाबा! फूलडा  बरसे छे म्हारै आंगणे...



ग्यारस  च्यानण की आई, भगतां मिल ज्योत जगाई...
झांझ-मजीरा बाजै आंगणे, ओ बाबा! झांझ-मजीरा बाजै आंगणे...



गंगा जल झारी थारां, चरण पखारां ओ, चरण पखारां ओ...
ऊँच सिंहासन बैठो, आरती उतारां ओ, आरती उतारां ओ...
भजन सुनावां थाणे, गाकर रीझावां थाणे...
अमृत बरसे छे म्हारै आंगणे, ओ बाबा! अमृत बरसे छे म्हारै आंगणे...



ग्यारस  च्यानण की आई, भगतां मिल ज्योत जगाई...
झांझ-मजीरा बाजै आंगणे, ओ बाबा! झांझ-मजीरा बाजै आंगणे...



जो थाणे भावे बाबा, भोग लगावां ओ,  भोग लगावां ओ...
रुच-रुच जीमो प्रभुजी, पड़दो लगावां ओ, पड़दो लगावां ओ...
थारो मूलकातो मुखड़ो, चंदा सुं लागे उजलो...
कीर्तन म  देख्यों थाणे आंगणे,  ओ बाबा! कीर्तन म देख्यों थाणे आंगणे...



ग्यारस  च्यानण की आई, भगतां मिल ज्योत जगाई...
झांझ-मजीरा बाजै आंगणे, ओ बाबा! झांझ-मजीरा बाजै आंगणे...



बिडलो दबाओ मुख म, अंतर कानां म ओ, अन्तर कानां म ओ...
थारे लीले के पावां, बिछिया बाजणियां ओ, बिछिया बाजणियां ओ...
करस्यां पहरावणी थारी, आशा पुरैली म्हारी...
चरण दबास्याँ म्हारै आंगणे, ओ बाबा! चरण दबास्याँ म्हारै आंगणे...



ग्यारस  च्यानण की आई, भगतां मिल ज्योत जगाई...
झांझ-मजीरा बाजै आंगणे, ओ बाबा! झांझ-मजीरा बाजै आंगणे...



लगन निभाज्यो प्रभुजी, प्रेम बढ़ाज्यो ओ, प्रेम बढ़ाज्यो ओ...
या  म्हारी मिनखा जुणी, सफल बणाज्यो ओ, सफल बणाज्यो ओ...
'मोती' चरणा रो चाकर, जनम सुधारों आकर...
भल-भल पधारयां म्हारै आंगणे, ओ बाबा!  भल-भल पधारयां म्हारै आंगणे...



ग्यारस  च्यानण की आई, भगतां मिल ज्योत जगाई...
झांझ-मजीरा बाजै आंगणे, ओ बाबा! झांझ-मजीरा बाजै आंगणे...
मन म हरियाली छाई, भगतां अरदास लगाई...
झांझ-मजीरा बाजै आंगणे, ओ बाबा! झांझ-मजीरा बाजै आंगणे...



आप सभी इस सुमधुर भाव को नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर सुन भी सकते है...




!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!


भाव के रचियता :  "श्री मोतीलाल जी ढंड"

Tuesday 7 June 2011

!! सिद्ध श्री शुभ ओपमा, थाणे पाँवा धोक प्रणाम जी... !!




घणा भाग्य स्यूं यो शुभ दिन आयो ह... इष्टदेव, कुलदेव बाबा श्याम जी रो कीर्तन, म्हाने ज्येष्ठ सुदी ग्यारस ने आपणें आंगणीये "श्री श्यामकुञ्ज, दरभंगा" म करवाणों ह... देवा म्हे एक कुंकुम पत्री म्हारा खाटूवाला श्याम जी के नाम स... जिसमें सब मिल या ही अरदास करंगा म्हारा लीले वाला श्याम स...



सिद्ध श्री शुभ ओपमा, थाणे पाँवा धोक प्रणाम जी...
समाचार एक बंचज्यों, थांसे भोत जरुरी काम जी...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...



घणे मान सु लिखां आज, थारो उत्सव एक मनाणों ह...
थोड़ो लिख्यो घणों समझोगा, थाणे निश्चय आणो ह...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...



सारा साथ ह घणी खुशी, थारा नित की मंगल गावे ह...
और बात सब ठीक ठीक, पण थारी याद सतावे ह...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...



टाबर थारा घणा उणामणा, थां बिन भोत उदास जी...
जीमों हो तो चलू करोला, आकर म्हारे पास जी...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...



भूल चूक सब क्षमा करो, म्हाने बेगा दर्शन दीज्यो आय...
दास 'बिहारी' के नैणा म, हरदम बैठ्या रीज्यो आय...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...



सिद्ध श्री शुभ ओपमा, थाणे पाँवा धोक प्रणाम जी...
समाचार एक बंचज्यों, थांसे भोत जरुरी काम जी...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...
ओ म्हारा खाटू वाला श्याम, ओ म्हारा लीले वाला श्याम...



!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय शीश के दानी, जय जय खाटू धाम !!
!! म्हे आया शरण तिहारी, शरण म अपणे लेलो श्याम !!




स्वयं योगेश्वर भगवन श्री कृष्ण एवं भगवती श्री आदिशक्ति माँ जगदम्बा जिनके आराध्य है, उन श्री मोरवीनंदन श्री श्याम जी के श्री चरणों में प्रणाम हैं...


भाव के रचियता : "श्री बिहारी जी, वृंदावन"

Saturday 4 June 2011

!! लगाओ मिल के जयकारा, खाटू से श्याम आयेगा... !!



ऐसा सभी श्री श्याम प्रेमियों का विश्वास है, कि जहाँ कहीं भी श्री श्यामप्रभु का कीर्तन होता है, और जब भक्त सच्चे हृदय से जयकारों का उद्घोष करते हुए श्याम प्रभु को पुकारते है तो, वहाँ स्वयं बाबा श्याम लीले पे असवार हो  उत्सव स्थल पर अपने भक्तों पर कृपा बरसाने आ ही जाते है...  आइये आज हम सभी श्याम प्रेमी मिलकर सरल एवं निश्छल हृदय से श्री श्याम प्रभु की जय जयकार लगाकर, बाबा श्याम के कृपा पात्र बने एवं उनको रिझाये...



!! जयकरा श्री श्याम का, बोलो सब नर- नार !!
!! जयकारे की गुंज से, राजी लखदातार !!




लगाओ मिल के जयकारा, खाटू से श्याम आयेगा...
लगाओ मिल ले जयकारा, खाटू से श्याम आयेगा...
करो स्वागत की तैयारी, खाटू से श्याम आयेगा...
करो स्वागत की तैयारी, खाटू से श्याम आयेगा...



सिंहासन भी डोलेगा, जयकारा जो सुनेगा...
खाटू से वो दौड़ेगा, लीले पे चढ़के...
करो स्वागत की तैयारी, खाटू से श्याम आयेगा...
लगाओ मिल के जयकारा, खाटू से श्याम आयेगा...



भगतों का रैला होगा, खाटू सा मेला होगा...
दरबार जो लगेगा, सुनेगा बाबा...
सुनाओ दिल का अफसाना, खाटू से श्याम आयेगा...
लगाओ मिल के जयकारा, खाटू से श्याम आयेगा...



दर तेरे जो आयेगा, भर खोली वो जायेगा...
दर्शन भी वो पायेगा, खुलेगी किस्मत...
झुकाओ शीश दर पर तुम, खाटू से श्याम आयेगा...
लगाओ मिल के जयकारा, खाटू से श्याम आयेगा...



'टीकम' भी नाचेगा, मस्ती में झुमेगा...
जयकारा बोलेगा, भक्तो के संग में....
लगाओ मिल के जयकारा, खाटू से श्याम आयेगा...
करो स्वागत की तैयारी, खाटू से श्याम आयेगा...



लगाओ मिल के जयकारा, खाटू से श्याम आयेगा...
लगाओ मिल ले जयकारा, खाटू से श्याम आयेगा...
करो स्वागत की तैयारी, खाटू से श्याम आयेगा...
करो स्वागत की तैयारी, खाटू से श्याम आयेगा...



!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!






प्रेम से बोलिए :


!! लखदातार की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! श्याम सरकार की जय !!
!! तीन बाण धरी की जय !!
!! लीले के असवार की जय !!
!! मोरवीनंदन बाबा श्याम की जय !!




श्याम बाबा की यह अनुपम छवि  "श्री श्याम कुञ्ज, दरभंगा" के २५वे श्याम महोत्सव की है, एवं इस सुन्दर भाव के रचियता इस मंदिर प्रांगण में निवास करने वाले श्री महाबीर प्रसाद जी है...

Thursday 2 June 2011

!! म्हारे सिर पे है बाबा जी रो हाथ, कोई तो म्हारो कांई करसी... !!




अपने आराध्य पर पूर्ण आस्था एवं पूर्ण समर्पण के भाव रखने वाला भक्त का ह्रदय अपने अंतर्मन के भावो की अभिव्यक्ति इस प्रकार अपने प्रभु, अपने इष्ट से करने लगता है...






म्हारे सिर पे है बाबा जी रो हाथ, खाटू वाले रो साथ...
कोई तो म्हारो कांई करसी, कोई तो म्हारो कांई करसी...
म्हारे सिर पे है बाबा जी रो हाथ, खाटू वाले रो साथ...
कोई तो म्हारो कांई करसी, कोई तो म्हारो कांई करसी...




जो कोई म्हारे श्यामधणी ने, साँचे मन सु ध्यावे...
काल कपाल भी साँवरिये के, भगतां स घबड़ावे...
जो कोई पकड्यो ह बाबा जी रो हाथ, खाटू वाले रो साथ...
कोई तो वां को कांई करसी, कोई तो वां को कांई करसी...



जो आं पे विश्वास करे, वो खूंटी तान कर सोवे...
बठे प्रवेश करे न कोई, बाल न बांको होवे...
ज्यां के मन में नहीं ह विश्वास, नहीं ह विश्वास...
वां को तो बाबो कांई करसी, वां को तो बाबो कांई करसी...



कलयुग को यो देव बडो, दुनिया म नाम कमायो...
जद जद भीड़ पड़ी भगतां पे, दौड्यो दौड्यो आयो...
यो तो घट घट के जाने सब बात, जाने सब बात...
कोई तो म्हारो कांई करसी, कोई तो म्हारो कांई करसी...



म्हारे सिर पे है बाबा जी रो हाथ, खाटू वाले रो साथ...
कोई तो म्हारो कांई करसी, कोई तो म्हारो कांई करसी...
म्हारे सिर पे है बाबा जी रो हाथ, खाटू वाले रो साथ...
कोई तो म्हारो कांई करसी, कोई तो म्हारो कांई करसी...



आप  सभी इस सुन्दर भाव को नीचे दिए गए लिंक पर भी सुन सकते है...







!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!





बाबा श्याम के श्री चरणों में समर्पित यह सुन्दर भजन सुप्रसिद्द राजस्थानी गीत "म्हाने अब के बचा ले मेरी माय, बटाऊ आयो लेबा ने" के तर्ज़ पर आधारित है...

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